सेहत से जुड़े 10 तथ्य जो आपके पैर जाहिर कर देते हैं

 

यदि आप अपने पैरों पर ध्यान रखें, तो स्वास्थ्य संबंधी कई शिकायतों के बारे में आसानी  से पता चल सकता है। आपके पैर डायबिटीज से लेकर पोषण संबंधी समस्याओं के बारे में बता सकते हैं।नाखूनों का बदरंग होना भी कई गंभीर समस्याओं का कारण हो सकता है। चलिये जानते हैं कि पैर किस तरह आपकी बिगड़ती सेहत के बारे में आपको चेता सकते हैं। 

  • पैर बता सकते हैं सेहत का राज
     

    1 - डायबिटीज

    डायबिटीज का आपके पैरों पर बहुत बुरा असर पड़ता है। डायबिटीज से आपके पैरों में कई खरोंच, कट और जलन आदि हो सकती है। ऐसा नसों को होने वाले नुकसान से होता है। ग्लूकोज की अधिक मात्रा नसों को क्षतिग्रस्त कर देती है। यदि पैर के घाव  लंबे समय तक न ठीक हों, तो यह डायबिटीज होने का संकेत  हो सकता है।डायबिटीज

    २ - बाल का गायब होना  

    यदि  आपके पैरों के रोमछिद्रों में रक्त प्रवाह सुचारू रूप से नहीं होता तो पैरों से बाल गायब होने की शिकायत हो सकती है। इसका संबंध पैरों के तापमान से भी हो सकता है। यह हाथ-पैर को रक्त पहुंचाने वाली रक्तवाहिनियों में समस्या का परिणाम हो सकता है। रक्त-प्रवाह सुचारू न होने का संबंध दिल की बीमारी से भी हो सकता है। यह भी संभव है कि दिल पर्याप्‍त मात्रा में रक्त पंप न कर पा रहा हो।

  • बाल उड़ना
  • ३ एड़ी में दर्द

  • पैरों में खासतौर पर सुबह सोकर उठने के समय एडि़यों में तेज दर्द होना और दिन के समय इस  दर्द का  बढ़ता चला जाना , प्लांटर फेस्सिटिस के कारण हो सकता है। इस बीमारी में पैरों को जोड़ने वाले उत्तकों में सूजन आ जाती है। ऐसा उत्तकों पर क्षमता से अधिक खिंचाव पड़ने से होता है।

  • एड़ी में दर्द
  • ४ -क्रैंप

  • आपके पैर संभावित डिहाइड्रेशन का भी इशारा करते हैं। इसके साथ ही आपके पैरों की रंगत कई जरूरी मिनरल्‍स की कमी के बारे में भी बताते हैं। पैरों में क्रैंप कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे जरूरी मिनरल्सकी कमी  के कारण हो सकते हैं। गर्भवती महिलाओं में यह समस्या अधिक देखी जाती है।

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    क्रैंप
  • 5- पैरों में पसीना

  • आपके पैरों में करीब पांच लाख पसीना बाहर निकालने वाली ग्रंथियां होती हैं। कुछ लोगों को सामान्य से अधिक पसीना आता है। वहीं, दूसरी ओर यह बात भी सत्य है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अधिक पसीना आता है। हालांकि, इसका सीधा आपकी सेहत पर असर न पड़ता हो, लेकिन जूतों और जुराबों में बदलाव लाकर इस परेशानी से बचा जा सकता है।

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    पैरों में पसीना
  • ६ - त्वचा पर झुर्रियां

  • यदि आपके पैरों की त्वचा और सफेद हो गयी है और साथ ही इस पर झुर्रियां भी नजर आ रहीं हैं, तो आपको रेनॉड बीमारी हो सकती है। आमतौर पर यह बीमारी सर्दियों में होती है। इस बीमारी में पैरों की रक्तवाहिनियां अधिक सक्रिय हो जाती हैं, जिससे त्वचा की रंगत में बदलाव आता है।

  • त्‍वचा पर झुर्रियां

  • 7 - पंजों में सूजन

  • क्या कभी आपने पंजों के जोड़ पर सूजन और अकड़न महसूस की है। यदि ऐसा है तो आप रहेयूमेटेड अर्थराइटिस के संभावित शिकार हो सकते हैं। हालांकि, यह समस्या एक साथ दोनों पैरों अथवा दोनों पैरों की अनामिका में हो सकती है।

  • पंजों में सूजन
  • 8 - चलते समय दर्द

  • यदि सामान्य रूप से चलते समय भी आपके पैरों में तेज हो, तो यह अनैदानिक स्ट्रेस फ्रेक्चर के कारण हो सकता है। इससे पैरों के दोनों ओर और तलवों में भी काफी परेशानी होती है। मिनरल और विटामिन के कारण यह समस्या और बढ़ जाती है। खासतौर पर यदि आप विटामिन डी और कैल्शियम का सेवन नहीं करते हैं, तो आपकी समस्या और बढ़ सकती है।

  • चलते समय दर्द
  • 9 - पैर सुन्न हो जाना

  • आपके पैर सुन्न हो जाते हैं। ऐसा लगता है जैसे कोई पैरों में कोई सुइयां चुभो रहा हो। यह समस्या परिधीय न्यूरोपेथी के कारण हो सकती है। इसके पीछे मुख्य रूप से डायबिटीज अथवा अल्कोहल का अधिक इस्तेमाल हो सकता है। इस प्रकार की समस्या हाथों में  भी हो सकती है।

     

    पैर सुन्‍न हो जाना
  • 10 - खड़े नाखून

  • सोरायसिस के कारण पैरों के नाखून लंबवत होने लगते हैं। सोरिटिक अर्थराइटिस के कारण लोगों के नाखून कई भागों में बंटे नजर आते हैं। तो, अगली बार जब आप अपने पैरों को देखें तो समझ जाइए कि इसके पीछे कौन से कारण हो सकते हैं।

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  • Disclaimer +

    इस जानकारी की सटीकता , समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर संभव प्रयास किया गया है । इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेखक की नहीं है। इस लेख में उपलब्ध  सभी साम्रगी केवल पाठकों की जानकारी और ज्ञानवर्धन के लिए दी गई है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकिस्तक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्येश्य आपको रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी मुहैया कराना मात्र है। आपका चिकिस्तक आपकी सेहत के बारे में बेहतर जानता है और उसकी सलाह का कोई विकल्‍प नहीं है। 
Posted by D.R. Singh on Tuesday 11 June 2019
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क्या आप चीनी का सेवन ज्‍यादा करते हैं ? तो जानिए इससे होने वाले नुकसान के बारे में

ज्‍यादा चीनी का सेवन आपके लिए हानिकारक हो सकती है क्योंकि इसमें कैलोरी की मात्रा अधिक होती है। यदि आपको मधुमेह या मधुमेह से संबंधित कोई बीमारी है तो इसे उच्च रक्त वसा का स्‍तर कह सकते हैं। ज्‍यादा चीनी से आपकी रक्त शर्करा और ट्राइग्लिसराइड्स जो कि रक्त में वसा का एक प्रकार है, बढ़ जाएंगे। जिससे ह्रदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ज्‍यादा चीनी का सेवन करने से शरीर पर कई अन्‍य दुष्‍प्रभाव भी पड़ते हैं। 

कम उम्र में बुढ़ापे की दस्‍तक 

चीनी जब हमारे खून में घुलती है, तो वह कुछ ऐसा प्रोटीन्स जैसे कोलेजन और इलास्टिन, के साथ मिलती है, जो हमारी जवां त्वचा को बुढ़ापे की तरफ ले जाती है। चीनी का अधिक सेवन प्रोटीन को खराब करता है साथ ही  कोलेजन और इलास्टिन को भी प्रभावित करता है, जिससे स्किन में ड्राइनेस और त्वचा पर झुर्रियां नजर आने लगती हैं। 

इंफ्लेमेशन(सूजन)

चीनी या मीठा अधिक खाने से कई बार हमारी स्किन पर दाने निकल आते हैं और त्वचा में झुर्रियां दिखाई देने लगते हैं जो बुढ़ापे की निशानी हैं । चीनी शरीर में इंफ्लेमेशन(सूजन) को भी बढ़ा देती है। इसके अलावा ये अर्थराइटिस,यानी गठिया जैसी बीमारी भी होने का खतरा बना रहता है। जब भी हमें जुखाम होता है या गला खराब होता है, तो हम मीठी चाय पीते हैं। चीनी उस समय भी इंफ्लेमेशन (सूजन) को बढ़ाते हुए गले में बैक्टीरिया पैदा करती है, जो कि हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह हो सकता है।  

विटामिन बी 6 (B6)की कमी 

ज्य़ादा चीनी खाने से शरीर में विटमिन बी खासतौर पर विटमिन बी6 की कमी हो जाती है। विटमिन बी 6 (B6) सेरोटोनिन केमिकल प्रोड्यूस करता है, जो हमारे मूड को खुशनुमा रखता है। अगर उसकी मात्रा शरीर में कम हो जाए तो इससे घबराहट और डिप्रेशन की भी समस्या हो सकती है। 

बेचैनी और अवसाद की समस्‍या 

अधिक मात्रा में मीठी चीजे खाने-पीने से अवसाद और बेचैनी जैसी समस्या हो सकती है। यह खतरा खासतौर पर पुरुषों को होता है। शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन के नतीजों को देखते हुए यह चेतावनी दी है। शोधकर्ताओं ने पाया कि चीनी के अधिक सेवन से पुरुषों में मानसिक विकार पैदा होने का खतरा बढ़ सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन की शोधकर्ता अनिका के मुताबिक, चीनी की अधिकता वाले आहार और पेय पदार्थ स्वास्थ्य पर कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इसका बुरा असर ब्रेन पर पड़ता है, जिससे मानसिक विकार पैदा हो सकते हैं। विशेष रूप से यह पुरुषों के लिए खतरे का संकेत है।

क्‍या कहती है रिसर्च 

वैसे, मानसिक विकारों का खतरा पैदा करने के लिए कई चीजें जिम्मेदार हो सकती हैं लेकिन शोध में पाया गया है कि चीनी की अधिकता वाले खाद्य और पेय पदार्थ इसके अहम कारक हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि जो पुरुष प्रतिदिन 67 ग्राम से अधिक मात्रा में चीनी का सेवन कर रहे थे, पांच साल बाद उनमें अवसाद और बेचैनी जैसे विकार पैदा होने का खतरा सामान्य लोगों के मुकाबले 23 फीसदी ज्य़ादा बढ़ गया। 

 

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Posted by D.R. Singh on Thursday 6 June 2019
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वजन कम करने के लिए खाइये ये 7 फल

 

fruits in hindi

आप ने अक्सर सुना होगा की जब भी हम वजन कम करने के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं तो वो हमें हमारी डाइट में फलों की मात्रा बढ़ाने को कहते है। फल हेल्दी होने के साथ-साथ इसमें  हाई फाइबर और नेचुरल शुगर होने के कारण यह आपकी भूख भी मिटा देते हैं और साथ ही साथ वजन कम करने में भी सहायता करते है। आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ फलों के बारे में जानते हैं जिनको  अपने डायट में शामिल करने पर  आप बड़े ही  आसानी से हेल्दी तरीके से  वेट लॉस कर पायेंगे।

1) तरबूज

तरबूज वजन कम करने वाले फलों की लिस्ट में सबसे ऊपर है। इसमें पानी की मात्रा बहुत ज्यादा (90%) होती है और इसके 100 ग्राम टुकड़े को खाने से सिर्फ 30 कैलोरी ही मिलती है। इसमें आर्जनीन (arginine) नाम का एमिनो एसिड भी अधिक मात्रा में पाया जाता है जो फैट को बर्न करने में सहायक होता है। तरबूज की सबसे ख़ास बात यह है की यह आपको हाइड्रेटेड रखने के साथ-साथ आपकी भूख को लम्बे समय तक शांत भी रखता है। पढ़ें मेरे ब्लॉग  – तरबूज के 9 करिश्माई फायदों के बारे में जानें

2) सेब

सेब अनगिनत गुणों से भरा एक ऐसा फल है जो आपके कैंसर होने के खतरे को कम करता है, हार्ट को हेल्दी रखता है, आपके दांतों को सफ़ेद रखता है और आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। अगर आप अपना वजन कम करना चाहतें हैं तो इस फल को अपनी डाइट में ज़रूर शामिल करें। एक मीडियम साइज़ के सेब में करीब 50 कैलोरी होती है और इसमें फैट और सोडियम बिलकुल भी नही होता है।पढ़ें मेरे ब्लॉग  – हर रोज़ एक सेब खाएं और अपनी याद्दाश्त बढ़ाएं!

3) अमरुद

भारत में अमरुद पुर्तगाल से आया था और इस फल से भी कई तरह के फायदे होते हैं। अधिक मात्रा में फाइबर होने के कारण, यह वजन कम करने में बहुत सहायक है और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने के कारण यह मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए सबसे उपयुक्त फल है। साथ ही साथ यह आपके मल को भी साफ़ एवं सही रखता है जिससे वजन कम करने में और मदद मिलती है। पढ़ें मेरे ब्लॉग  – इन 10 कारणों से ज़रूर खाएं अमरूद

4) केला

एक केले में 105 कैलोरी पाये जाने के कारण यह इंस्टेंट एनर्जी के लिए सबसे उपयुक्त फल है। वर्कआउट के बाद खाने के लिए मिलने  वाले कई पैकेज्ड फ़ूड की तुलना में यह फल बहुत अधिक हेल्दी होता है और यह आपके मसल्स क्रैम्प को सही करने में, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में और एसिडिटी से बचाने में भी सहायक होता है। पढ़ें मेरे ब्लॉग  – केले रखते हैं हृदय को स्वस्थ

5) नाशपाती

एक नाशपाती खाने से आपके दिन भर के लिए ज़रूरी फाइबर की मात्रा का एक चौथाई हिस्सा आपको मिल जाता है और यह पाचन क्रिया में भी सहायक है। यह आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने के अलावा आपके कोरोनोरी हार्ट डिसीजेज और टाइप 2 डायबिटीज होने के खतरे को भी कम कर देता है। इसमें विटामिन सी भी अधिक मात्रा में पाया जाता है। पढ़ें मेरे ब्लॉग -नाशपाती के ये 5 फायदे जानकर ज़रूर खाएंगे आप ये फल!

6) संतरा

इसका सिर्फ स्वाद ही अच्छा नही होता बल्कि संतरे के 100 ग्राम टुकड़े में करीब 47 कैलोरी होती हैं इसलिए यह डाइटिंग और वजन कम करने के वालों के लिए बहुत उपयोगी है। इसका स्वाद मीठा होने के कारण, डाइटिंग के दौरान जब भी आपको मीठा खाने का मन करे आप इस फल को खा सकते हैं। पढ़ें मेरे ब्लॉग – संतरे के छिलके के 7 ब्यूटी और हेल्थ टिप्स

7) टमाटर

जी हाँ टमाटर सब्जी नही फल होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर यह फल खाने में बहुत स्वादिष्ट होता है। ये लेप्टिन रेजिस्टेंस को उल्टा कर देते हैं,लेप्टिन एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो हमारे शरीर को वजन कम करने से रोकता है। इसलिए वजन कम करने के लिए टमाटर एक ज़रूरी फल है। पढ़ें मेरे ब्लॉग – टमाटर के पाँच स्वास्थ्य संबंधी गुण

 

Posted by D.R. Singh on Monday 27 May 2019
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प्रीडाइबिटीज के 7 लक्षण जिन्हें आपको अनदेखा नहीं करना चाहिए ।

 

दुनिया  के हर तीन वयस्कों में से एक प्रीडायबिटिक है क्या आप भी  उसमें से एक है ?

 प्रीडाइबिटीज  (Prediabetes ) क्या है?

बोस्टन में जोसलीन डायबिटीज सेंटर में एंडोक्राइनोलॉजिस्ट एलिजाबेथ हैल्पप्रिन कहते हैं, "जब आपकी रक्त शर्करा सामान्य से ऊपर होती है लेकिन उस सीमा में नहीं जिसे डायबिटीज माना जाता  है तब वह प्रीडायबिटीज कहलाता है ।"  सामान्य रक्त शर्करा 110 मिलीग्राम / डीएल से कम होता है; और 126 मिलीग्राम / डीएल से अधिक मधुमेह इंगित करता है। यदि आपकी उपवास रक्त शर्करा (fasting blood sugar) 110 मिलीग्राम / डीएल और 126 मिलीग्राम / डीएल  इन संख्याओं के बीच कहीं है, तो आप प्रीडायबिटिक हैं।

प्रीडाइबिटीज  (Prediabetes ) के लक्षण क्या होते हैं ?

जैसा कि आपने नाम से अनुमान लगाया होगा,  प्रीइबिटीज  बिना देखभाल के अक्सर पूर्ण मधुमेह में बदल जाता है। लेकिन यह कहना मुश्किल होता है कि क्या आप इस सीमा रेखा पर हैं । क्योंकि आमतौर पर इसका कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज और पाचन और किडनी रोग (एनआईडीडीके) के कार्यक्रम निदेशक क्रिस्टीन ली कहते हैं, "डॉक्टर द्वारा रक्त परीक्षण के साथ निदान करने के अलावा आपके पास मधुमेह के पूर्वनिर्धारण का कोई तरीका नहीं है।"हालांकि, कुछ पैटर्न और परिवर्तन ऐसे हैं जिससे आप अनुमान कर सकते हैं कि आप प्रीइबिटीक हैं ।  जो निम्नवत हैं :-

आप का वजन अधिक होना :-

शरीर का वजन अधिक होने से और शरीर में अतिरिक्त वसा (fat) के होने से खासतौरआप इंसुलिन के प्रतिरोधी बन जाएंगे, जो मधुमेह के विकास के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है। हेलप्रिन कहते हैं, "अधिक वजन होने से पर्याप्त इंसुलिन पैदा करने के लिए आपके पैनक्रियाज  पर तनाव पड़ता है और यह आपके शरीर द्वारा बनाए जाने वाले इंसुलिन की प्रक्रिया को कठिन बनाता है।" आपका पेट आपके वजन बढ़ाने का मुख्य स्थल होता है, इसका मतलब है कि आपके अंगों के चारों ओर जो वसा (fat) है, वह  मधुमेह के खतरे को बढ़ा सकता है।पेट की वसा को कम करने का एक स्मार्ट तरीका है अधिक सब्जियां खाएं। हेलप्रिन कहते हैं, "आप 'प्लेट' विधि का उपयोग कर सकते हैं, जहां आपकी 'प्लेटआधा सब्जियों से भरा हुआ हो , चौथाई प्रोटीन ,और चौथाई भाग स्टार्च का हो तो इससे आपके पेट की वसा को कम किया जा सकता है ।"

त्वचा में अजीबो गरीब लक्षण दिखते हैं :-  

प्रीडाइबिटीक के आमतौर पर कुछ खास लक्षण नहीं दिखाई देता है, लेकिन कुछ लोगों में मधुमेह से जुड़े कुछ लक्षण दिख सकते हैं , जैसे अधिक प्यास महसूस करना या अक्सर पेशाब का अधिक होना। त्वचा में परिवर्तन होता है, जैसे त्वचा का मलिनीकरण या त्वचा पर चित्ती का पड़ना।

" प्रीडाइबिटीज वाले कुछ लोगों में बगल में या गर्दन के पीछे और किनारों पर काली त्वचा की तरह इंसुलिन प्रतिरोध के संकेत दिखाई दे सकते हैं, या इन क्षेत्रों में कई छोटी त्वचा की वृद्धि हो सकती है,"ली कहते हैं किसी भी त्वचा के लक्षणों पर नजदीकी नजर रखें और अपनी त्वचा के लक्षण  को अपने डॉक्टर को ध्यान में लाएं।

आपके दांत के एनामल लुप्त होते हैं :-

मीठा अच्छा स्वाद दे सकता है, लेकिन उसके अधिक सेवन से आपको प्रीडाइबिटीज के लिए जोखिम बढ़ा देता है। रोटी, चावल, पास्ता, और आलू जैसे परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट आपके वजन और चीनी के स्तर के साथ गड़बड़ कर सकते हैं, हैल्पिन कहते हैं।सामान्य   कार्बोहाइड्रेट और मिठाई सीमित करें और  जटिल  कार्बोहाइड्रेट (अनाज ), प्रोटीन, और veggies को शामिल करें।

आप शायद शारीरिक गतिविधि कम करते हैं :-

हेलप्रिन कहते हैं, नियमित शारीरिक गतिविधि आपके शरीर को इंसुलिन का अधिक कुशलता से उपयोग करने में मदद करती है। यह आपको स्वस्थ वजन को बनाए रखने में भी मदद कर सकता है, जो बदले में, प्रीडाइबिटीक और मधुमेह के आपके जोखिम को कम करता है। यदि आप सुस्त जीवनशैली जीते हैं , तो दिन में तीन बार 10 मिनट की पैदल दूरी के साथ छोटी शुरुआत करें। आपको प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट तक  मध्यम गति से पैदल चलना चाहिए।

आपकी उम्र अधिक हो गयी है :-

आप समय को नहीं रोक सकते हैं, लेकिन उम्र बढ़ने से आपको कई चीजों का खतरा बढ़  जाता है, जिसमें प्रीडाइबिटीज भी शामिल है। यही कारण है कि अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन ने डॉक्टरों को पूर्व-स्वास्थ्य की देख -भाल के लिए 40 से अधिक उम्र के  वयस्कों का यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनका रक्त शर्करा अच्छी स्थिति में है , नियमित परीक्षण करने की सिफारिश की है। 

अतीत में आपको रक्त शर्करा की समस्याएं थीं :-

गर्भावस्था के दौरान गर्भावस्था के मधुमेह का निदान करने वाली महिलाएं अपने बच्चों के जन्म के बाद भी बिल्कुल "सामान्य" नहीं हो पाती हैं । 

यहां तक कि यदि प्रसवोत्तर चेकअप पर आपका रक्त शर्करा का स्तर ठीक है, तो भी आपको जीवन में बाद में प्रीडाइबिटीज और मधुमेह का खतरा बना रहता है।

आप रात को अच्छी नींद नहीं ले पाते हैं :-

जब आपको अच्छी नींद  नहीं मिलती है, तो आपके शरीर का वजन तेजी से बढ़ सकता है। ली कहते हैं, खराब नींद आपका वजन बढ़ा सकती है, जो आपके प्रीडाइबिटीज के जोखिम को बढ़ाती है और रक्त शर्करा पर भी कहर ढा सकते हैं।

यदि आप खर्राटा के रोगी हैं तो अपने डॉक्टर से बात करें। आपकी नींद की समस्याओं का इलाज करने से आपको मधुमेह के खतरे के क्षेत्र से बाहर रखने में मदद मिल सकती है।

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Posted by D.R. Singh on Friday 24 May 2019
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जानें दिल के स्वास्थ्य के बारे में डॉ लुइगी ग्रैटन से

डॉ. ल्युगी  ग्रैट्टन, एम.डी., एम.पी.एच डी और हर्बलाइफ़़ के मेडिकल मामलों और शिक्षण के वाइस प्रेज़िडेंट है , जो हमारे हार्ट हैल्थ प्रोडक्ट्स के बारे में आपके प्रश्नों के उत्तर दे रहे हैं।

 

 

प्र.: अल्फ़ा लिपॉक एसिड क्या है और यह हार्ट को कैसे मदद पहुंचाता है?

उ.: अल्फ़ा लिपॉक एसिड(ए.एल.ए.), निटवर्क्स®का एक घटक है, जो एक पेटेंट एंटिऑक्सिडेंट है जिसकी खोज पहली बार 1950 में की गई थी और बाद में 1988 में इसे इसकी स्वास्थ्यवर्धक गतिविधियों के लिए मान्यता दी गई। ए.एल.ए. मित्कोन्डोरिया में काम आता है(शरीर की ऊर्जा उत्पाद कोशिका), जिसमें इसे डी.एन.ए. को नुकसान से बचाने के लिए उपयोगी दिखाया गया है। कई एंटिऑक्सिडेंट्स, जैसे विटामिन सी, शरीर के ऐसे विभिन्न क्षेत्रों में भली प्रकार काम आता है जहां पानी होता है, जबकि विटामिन ई, जैसे अन्य तत्व ऐसे क्षेत्रों में काम आते हैं जहां वसा ज़्यादा होती है। ए.एल.ए. में पानी और वसा दोेनों में काम करनेकी क्षमता है और यही नहीं, यह हमारे प्राकृतिक विटामिन सी और ई की पनुर्रचना में भी मददगार होता है। हार्ट में, ए.एल.ए. फ्ऱी रेडिकल डैमेज से कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम की रक्षा करने में सहायक होता है। क्या है और यह हार्ट को कैसे मदद पहुंचाता है?

 

 

प्र.: अगर निट्रिक ऑक्साइड एक गैस है, तो निटवर्क्स® पाउडर रूप में क्यों आता है?

उ.: 
हर्बलाइफ़ डवलप्ड निटवर्क्स® को डॉ. लॉ इग्नैरो के साथ विकसित किया था, जिन्होंने मेडिसिन क्षेत्र में नोबल प्राइज़ जीता था। डॉ. इग्नैरो के शोध से पता चला है कि निट्रिक ऑक्साइड रक्तवाहिनियों को पुष्ट, लचीला और जवान रखता है और रक्त के बहाव बढ़ता है। उनके शोध से यह भी पता चला है कि निट्रिक ऑक्साइड रक्त प्र्रवाह को बढ़ाता है, हृदय, मस्तिष्‍क और अन्य अंगों के संचालन में सहायक होता है। उनके एक और शोध से यह सामने आया है कि दो अमीनो एसिड-ए-आर्जिनिन और एल-सिट्रलिन, शरीर में निट्रिक ऑक्साइड के उत्पादन में सहायक होते हैं। इसलिए हर्बलाइफ़. ने निटवर्क्स® को इन दो अम्लों के साथ एक पाउडर के रूप में विकसित किया ह ताकि यह पाचन योग्य हो। इस उत्पाद में एंटिऑक्सिडेंट्स की रक्षा के लिए अल्फ़ा लिप्युक एसिड और विटामिन ई भी निहित है।

 

 

प्र.: लहसुन कार्डियोवेस्कुलर स्वास्थ्य के लिए किस प्रकार सहायक होता है?

उ.: लहसुन लंबे समय से एक जाना-माना उच्च स्तरीय पूरक तत्व है जो स्वस्थ प्रवाह और स्वस्थ हृदय के लिए सहायक होता है। यह एक मूल सक्रिय घटक है जो एलिसिन के नाम से जाना जाता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक है, यह एक एंटिऑक्सिडेंट है, खून को पतला करने और एंटिमाइक्रोबायल कार्यों में सहायक होता है। लहसुन पूरकों को खासतौर से पेट में एसिड बनने से रोकने में प्रभावशाली होने के लिए महत्व दिया जाना चाहिए। हर्बलाइफ़ ने मेगागार्लिक प्लस को एक एन्टेरिक कोटिंग के साथ विकसित किया है ताकि यह सुरक्षित रूप से पेट में पहुंचकर घुल जाए।

इन पूरक पदार्थों का फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा मूल्यांकन नहीं किया गया है। इन उत्पादों का उद्देश्य किसी बीमारी का पता लगाने, उपचार करने, देखभाल अथवा रोकथाम करना नहीं है। यह उत्पाद किसी प्रकार की बीमारी का पता लगाने, उपचार, इलाज, अथवा रसेकथाम के लिए तैयार नहीं किए गए हैं।

Posted by D.R. Singh on Wednesday 22 May 2019
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